| |

Oldest Temple In India – भारतिय प्राचिन मंदिरो के इतिहास और उनसे जुड़े बाते।

Oldest Temple In India – भारत प्रचानि से ही धर्म देवी–देवताओ, संस्कृत, संभ्यता मे विश्वभर मे प्रसिद देश रहा है। भारत जहा अनेको राजाओ, महाराजाओ, मुगलो और अंग्रेजो ने राज्य किया था।

आज यह एक स्वंतत्रत भारत है। भारत मे एक सामान्य चिज आप देख सकते हो और वह यह की यहा के देवी–देवताओ के मंदिर। यहा के हिंदू अपने भगवान को बहुत चाहते है। ओर यहा के लोगो ने प्राचिन काल से ही हिंदू देवी–देवताओ के लिए घर यानि मंदिर बनाये है।

जिसे कुछ मुगलो ने तोड़ा लुटा तो कुछ अंग्रेजो ने लुटा तोड़ा पर यहा कि आन-वान–शान यानि संस्कृति जो यहा की प्राचिन संभ्यता मे बसती है। आज हम कई ऐसे (Oldest temple in India) मंदिर के बारे मे जानेगे। जो 1000 सालो से भी पुराना है। तो आइये जानते है उन सभी मंदिरो के बारे –

यहाँ भी पढ़े – History of India In Hindi – भारतिय सभय्ता व संस्कृति

1.ब्रम्हा जगतपिता, पुष्कर, राजस्थान –

Brahma Jagatpita Temple

(Oldest temple in India) मे पहला मंदिर ब्रम्हा जगतपिता, पुष्कर, राजस्थान

अभी जो बताने जा रहा हूँ, जिस बात से आप सच मे आश्चर्य हो जायेगे। पुष्कर झील जो राजस्थान के पवित्र झील मानी जाती है। इसी के पास ब्रह्मा जगतपिता है, जिसे ब्रह्मा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है पुष्कर, राजस्थान, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है।

यह भगवान ब्रह्मा को समर्पित कुछ मंदिरों में से एक है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है।, कहा जाता है कि यह मंदिर 2,000 साल से अधिक पुराना है और इसे हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।

इस मंदिर के अंदर, आपको भगवान ब्रह्मा की एक मूर्ति देखने को मिलेगी, जिसमें उनकी पत्नी सरस्वती के साथ चार चेहरे और चार हाथ हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव, भगवान राम और भगवान कृष्ण जैसे देवताओं के अन्य मंदिर भी हैं।

यह मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरो मे तो आता ही है। लेकिन साथ ही साथ विश्व के सबसे पुराने मंदिरो मे से भी एक माना जाता है। पुष्कर अपने आप में एक पवित्र शहर माना जाता है और इस पवित्र पुष्कर झील के आसपास कई सारे मंदिरों और घाटों (पानी के शरीर की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ) का घर है।

वर्तमान मे जो संरचना है वह कुछ 14 वी शताब्दी का है। आपको एक और जानकारी बता दूँ की हन्सा और हंसि के रूपंक्नो मे जहतपिता ब्रम्हा जी का मंदिर को बनाया गया है। जिसे संगमरमर के पत्थरो से बनाया गया है।

ब्रम्हा जगतपिता से जुड़े कुछ रोचक तथ्य हैं (Some interesting facts related to Brahma Jagatpita) –

  1. ब्रम्हा जगतपिता मंदिर भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर है जो सीधे ब्रम्हा देव को समर्पित है। यह विशेषतः ब्रम्हा देव के भक्तों के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान है।
  2. मंदिर के पास पुष्कर तीर्थ स्थित है, जो ब्रम्हा द्वारा सृष्टि किया गया माना जाता है। यह तीर्थ पवित्र माना जाता है और इसे स्नान करने का महत्व धार्मिक विश्वास से जुड़ा है।
  3. ब्रम्हा जगतपिता मंदिर का वास्तुशास्त्र प्राचीन वास्तुशास्त्र के नियमों पर आधारित है। यह मंदिर का ढांचा वैदिक शैली में बना हुआ है और उच्च स्थानिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है।
  4. हर साल ब्रम्हा जगतपिता मंदिर में जगतपिता महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें ब्रम्हा देव की पूजा और आराधना पर ध्यान केंद्रित किया जाता ह

2 कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा –

Konark Sun Temple

(Oldest temple in India) मे दूसरा मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा

कोणार्क सूर्य मंदिर, भारत के ओडिशा में स्थित, एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो सूर्य देव सूर्य को समर्पित है। जिसे गंगा बंश के राजाओ ने 13वी शताब्दी मे बनवाया था। यह प्राचीन भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है। मंदिर को जटिल नक्काशीदार पत्थर के पहियों, घोड़ों और पौराणिक प्राणियों के साथ रथ के आकार में बनाया गया है।

काले ग्रेनाइट से बने, मुख्य गर्भगृह में कभी सूर्य देवता निवास करते थे, लेकिन अब यह खंडहर में है। मंदिर देवताओं, खगोलीय प्राणियों और हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को चित्रित करने वाली उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। ये नक्काशियां उस युग के कारीगरों के कौशल और शिल्प कौशल का एक वसीयतनामा हैं।

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त, कोणार्क सूर्य मंदिर दुनिया भर के आगंतुकों को आकर्षित करता है जो इसकी भव्यता पर अचंभित होते हैं और जटिल नक्काशी की प्रशंसा करते हैं। यह न केवल एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य प्रतिभा का भी प्रतीक है।

कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (interesting facts related to konark sun temple) –

  1. कोणार्क’ शब्द संस्कृत में “कोण” (कोना) और “अर्क” (सूर्य) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “सूर्य का कोना”।
  2. मंदिर के आगे का भाग नृत्य मंदिर के रूप में जाना जाता है। इसमें शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन करने के लिए स्थान था।
  3. यह मंदिर शिल्पकला की दृष्ति से विशाल, अदभूत और प्रवासियो के लिए आकर्षक है।
  4. इतिहास के दौरान, मंदिर के ऊपर एक पत्थर का चबूतरा बना दिया गया था ताकि यह उड़ न जाए। ऐसा करके मंदिर के सौंदर्य में हानि हुई हो सकती है।
  5. इस मंदिर मे अलोकिक मूर्तियाँ अप्सराओ के मूर्तिया, संगीतकारो की आकृतियाँ से बनाई गई है।
  6. कोणार्क सूर्य मंदिर को कालिंग नगरी कहा जाता है, क्योंकि यह ओडिशा के कालिंग नामक राज्य की सरकारी राजधानी थी।
  7. हर साल दिसंबर में, मंदिर के पास सूर्य महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग भारतीय संस्कृति के रंग-बिरंगे दिखावे और नृत्य का आनंद

यहाँ भी पढ़े – भारतीय तिरंगे से जुड़े अनसुने रोचक तथ्य। indian flag facts in hindi

3. पंच रत्न मंदिर, बांकुर, पश्चिमबंगाल –

Panch Ratna Temple

(Oldest temple in India) मे तीसरा मंदिर पंच रत्न मंदिर, बांकुर, पश्चिमबंगाल का है।

पंच रत्न मंदिर बांकुर, पश्चिमबंगाल में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह मंदिर पश्चिमबंगाल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और स्थानीय धार्मिक महत्व का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसका निर्माण पाषाण से हुआ है और यह मंदिर प्रमुखतः सूर्यदेव को समर्पित है।

पंच रत्न मंदिर का नाम पंच रत्नों से जुड़ा हुआ है। इन पंच रत्नों में सोना, चांदी, पत्थर, लहसुनिया और मूंगा शामिल हैं। इन पंच रत्नों का उपयोग मंदिर की शोभा और महिमा में अद्वितीयता प्रदान करने के लिए किया गया है।

मंदिर की संरचना वैदिक शैली में है और यह अद्वितीय वास्तुशास्त्र के नियमों पर आधारित है। मंदिर की मुख्य गोपुरम्, मंदप और गर्भगृह सुंदरता से आभूषित हैं और आकर्षक संगठन का नमूना हैं।

यहां परंपरागत रूप से धार्मिक उत्सव और महोत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें ब्रह्मा जयंती, रथयात्रा, दिवाली और होली शामिल हैं जानकरी के लिए आपको बता देना चाहते हूँ की इस मंदिर को 1643 मे राजा रधुनाथ सिंघ के दृरा निर्मित कराया गया यह मंदिर एक छोते से चबुतरे पर बनाया गया है।

पंच रत्न मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (There are some interesting facts about Panch Ratna Temple) –

  1. पंच रत्न मंदिर को उन्नत कला और वास्तुकला की उच्चतम उपलब्धि माना जाता है। इसका निर्माण श्रीकृष्ण चैट्टोपाध्याय द्वारा किया गया था, जिन्होंने इसे 1738 ईस्वी में पूरा किया था।
  2. मंदिर के पांच प्रमुख शिखरों को पंच रत्न कहा जाता है। इनमें से प्रत्येक शिखर को प्रतीकात्मक नाम दिया गया है – चण्डीश्वर, रुक्मिणी, बलराम, कृष्ण और भामा।
  3. मंदिर का आकार अनोखा है, जो उसे विशेष बनाता है। यह वृत्ताकारी रूप में निर्मित है, जिसमें सभी पंच रत्न एक पंचकोनीय रूप में प्रस्थानित हैं।
  4. पंच रत्न मंदिर की दीवारों पर छितरे में बने तेराकोटा कार्विंग के नक्शे प्रमुखतः राधा-कृष्ण लीला के समर्पित हैं। यह नक्शे कला और स्थानीय साहित्य के एक मिश्रण के रूप में माने जाते हैं

4.मंदिर सांची का स्तूप, मध्य प्रदेश का है। –

Stupa of Temple Sanchi

(Oldest temple in India) मे चौथा मंदिर सांची का स्तूप, मध्य प्रदेश का है।

पहले आपको सांची का स्तुप यानि स्तुप होता क्या है? यह बताते है। स्तुप यानि भगवान बुद्ध के अवशेषे यनि वाल, दांत, एव राख को एक बक्से मे रख कर ईट से अंडाकार मे चिनाई की जाती है, जिसे स्तुफ कहते है।

सांची, मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां सांची का स्तूप (Stupa) स्थित है। यह एक प्राचीन बौद्ध धर्म स्थल है और विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। यह भारतीय संगठित बौद्ध धर्म की प्राचीनतम और प्रमुख सांची है, जहां महात्मा बुद्ध के अश्थि विश्राम स्थलों में से एक है।

यहां का स्तूप उच्चतम और अत्यंत प्रसिद्ध है। यह महास्तूप कटुबिले के नाम से भी जाना जाता है और इसे मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा 3वीं सदी ईसा पूर्व में बनवाया गया था। सांची के स्तूप में धातु की अश्थि संग्रहण स्थल होता था।

सांची का स्तूप एक विशाल संरचना है जो उच्चतम गोलकार आकृति में निर्मित है। इसमें चार विभिन्न प्रमुख कक्षाएं (कक्षाएं) हैं – मूलकक्ष, जिसमें अशोक स्तंभ स्थित है, तो उपर्युक्ती, त्रिरत्न कक्ष, जो शिखर के आधार में स्थित है, और योगिनी कक्ष, जिसमें गोपुरम् स्थित है।

स्तुप का रेखाचित्र: ब्योर।

हर्मिका: स्तूप के उपर के अंडाकार हिस्से के चारों ओर से लगी रेलिंग जिसे हर्मिका कहते हैं।

मेधि: स्तूप के चारों तरफ से बने घुमावदार रास्ते को मेंधि कहते हैं। जिसका उपयोग परिक्रमा के लिये किया जाता है।

परिक्रमा पथ: मंदिर के चारों तरफ समतल ऊंचाई पर बने पथ को परिक्रमा पथ कहते हैं। जिसके दहिनी तरफ परिक्रमा करते है।

प्रवेश बंदनवार : बंदनवार का मतलब होता है की प्रवेश दरवाजे की दो उच्चतम स्तम्भ होते हैं इसके ऊपर का हिस्सा पर तिरछा कलाकृति के बिंब होता है।  इस पत्थर की सर्चना कि भव्यता जो इसके आकार को 16 मीटर पूछा और  37 मीटर छोड़ा है।

मंदिर सांची का स्तूप के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (Some interesting facts about Stupa of Temple Sanchi are) –

  • मौर्यकाल मे करिब 10 स्तुपो का निर्मान किया गया था।
  • उत्तरप्रदेश के बसती जिले के पीपराव गाव मे, बिहार जे चप्मारन जिले के लौरिया गाव मे 1905 मे प्राप्त हुआ था। जो मौर्यकालिन से भी पुर्व के है।
  • अब बात करते है मध्य प्रदेश के स्तुप के बारे मे, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले मे जो स्तुप पाया गया है। वह 12 वी शताब्दी के समय का है।
  • कहा जाता है कि यह मंदिर भारत के सबसे प्रचिन पत्थरो(ईतो) से बनाया गया है। यह स्तुप सम्राट अशोक के पत्नी और उनके बेटी के देख रेख मे बनाया गया था. 

यहाँ भी पढ़े – भारत रत्न के बारे में 18 रोचक बाते | Bharat Ratna Facts in Hindi

5. दिलवाड़ा मंदिर माउंट आबू राजस्थान का है। –

Dilwara Temple

(Oldest temple in India) मे 5 दिलवाड़ा मंदिर माउंट आबू राजस्थान का है।

इस मंदिर को 11वी से 13वी शताब्दी के बीच में राजस्थान के माउंट आबू से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बनाया गया था। दिलवाड़ा मंदिर जैनमंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

एक ही परिसर में पांच मंदीर है जिनमें से प्रतेक की अलग अलग पहचान दिखाए गए हैं। जो की खुद में एक जटिल शिल्प कला के रुप में जाना जाता है। सभी मंदिर अपने–अपने वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं और सभी मे आपको भारतकी संस्कृति का झलक दिखाई देगा।

संपूर्ण मंदिर संगमरमर के बने है, अंदर से दरवाजे, छट, मूर्ति सब संगमरमर की पत्थरों से बनाए गए। जो  एक अद्भुत कलाकृति का नमूना है।

इस मंदिर में हाथी और घोड़े पर सवार लोगों की मूर्ति भी है संपूर्ण संगमरमर की पत्थरों से बनाया गया है। कुछ सालो पहले मलवे से हजरो साल पुराना यहां पर एक बोद्ध भगवान मूर्ति प्राप्त हुआ।

मैंने इस मंदिर को खुद अपने आंखों से देखा है सच में बहुत ही खूबसूरत और अदभुत मंदिर है। कुछ सालों पहले इस मंदिर पर हमला हुआ जिस्से हाथी की एक सुड़ टूट गया था। उस के बाद से इस मंदिर की सुरक्षा और ज्यादा कर दी गई।

दिलवाड़ा मंदिर, माउंट आबू, राजस्थान, भारत के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (There are some interesting facts related to Dilwara Temple)

  1. दिलवाड़ा मंदिर, माउंट आबू में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर ब्रह्मा को समर्पित है और इसे 11वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था।
  2. दिलवाड़ा मंदिर माउंट आबू की पहाड़ी पर स्थित है। यह पहाड़ी अरावली पर्वतमाला का हिस्सा है और यहां से मंदिर से अद्वितीय पहाड़ी और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।
  3. दिलवाड़ा मंदिर वास्तु और आर्किटेक्चर की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका निर्माण ग्रंथ संग्रहालय की वास्तुकला के अनुसार किया गया है और इसकी महाद्वार में भारतीय स्थापत्यकला के छपके दिखाई देते हैं।
  4. मंदिर में भगवान ब्रह्मा की विशाल मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति संग्रहालय की विशेषता है और इसे श्र

6 कैलाश मंदिर महाराष्ट्र का है। –

Kailash Temple

(Oldest temple in India) मे 6 मंदिर कैलाश मंदिर महाराष्ट्र का है।

एलोरा का गुफाओ औरंगाबाद में आया हुआ है। जिस्मे 16  नंबर का गुफा जो कैलाश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। जिसे 607 के दशक में राजाकृष्ण प्रथम ने निर्माण करवाया था। भव्य और प्राचीन कैलाश मंदिर भारत की प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपना एक अद्भुत और आश्चर्य जनक नक्काशी का कलाकृति है ये मंदिर भारत की महानत: स्मार्को में से एक है।

राजाकृष्ण प्रथम ने इस मंदिर को शिव को कैलाश पर्वत के निवासी का प्रतीक के रूप में बनवाया था। संपूर्ण मंदिर को एक अनुमान  के सहारे बनाया गया था। जो आगे चलकर एक सटीक मंदिर हुआ। जो सहि रूप से मंदिर तैयार हो गया।

मंदिर कैलाश मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (There are some interesting facts related to Temple Kailash Temple)

मंदिर कैलाश मंदिर (Kailash Temple) एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यह भारत के महाराष्ट्र राज्य में अजंता गुफाएं (Ajanta Caves) के भीतर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं:

  1. कैलाश मंदिर विशालतम एकलित पत्थर मंदिर है और यह दुनिया का सबसे बड़ा एकलित पत्थर मंदिर माना जाता है। इसका निर्माण शैल नागरी वास्तुकला में किया गया है और इसकी ऊँचाई लगभग 32 मीटर (105 फ़ीट) है।
  2. कैलाश मंदिर की सुंदर विचित्रताएं इसे अद्वितीय बनाती हैं। मंदिर पर बने नक्काशी और नक्काशी के रूप में दिखाए गए पत्थरों पर भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी बैल, देवताओं और अन्य पौराणिक कथाओं के स्थानीय संदर्भ हैं।
  3. कैलाश मंदिर में किये गए नक्काशी कार्विंग कला का एक प्रमुख उदाहरण है। इसमें पत्थर पर चित्रित किए गए नक्काशी बहुत सुंदरता और करिगरी का प्रदर्शन करते हैं।

यहाँ भी पढ़े – भारतीय संविधान सभा से जुड़े 25 रोचक तथ्य | indian constituent assembly in hindi

7. तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड –

Tungnath Temple

(Oldest temple in India) का 7 मंदिर तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड का है।

उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य जहां प्रकृति का अपना एक अलग ही प्यार देखने को मिलता है। आज मैं आपको यहां की सुप्रसिद्ध और प्राचीन भारत मंदिरों में से एक का वर्णन करने जा रहा हूं।

3680 मीटर {12,073 फीट} पर आए हुए तुंगनाथ मंदिर दुनिया की सबसे ऊंची स्थान पर भगवान शिव का मंदिर हे। मध्यमहेश्वर, रुद्रनाथ, केदारनाथ, और कल्पेश्र्वर मंदिर यह चार और तुंगनाथ मंदिर मिलाकर पांच केदार मंदिर है।

लोगों कहना है कि भगवान शिव जी से माफ़ी मांगने के लिए इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किए थे। जो पुरे मंदिर को काली चट्टान से बनाया गया है। ओर ये उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हे। इस मंदिर का दर्शन करने के लिए एक समय में मंदिर के गर्भग्रह सिर्फ 10 लोग को ही अनुमति है।

तुंगनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (Interesting facts about Tungnath Temple) –

तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड, भारत में स्थित एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है

  1. तुंगनाथ मंदिर विश्व में सबसे ऊँचा शिव मंदिर है। यह हिमालयन पर्वत श्रृंगार में स्थित है और उसकी ऊँचाई लगभग 3,680 मीटर (12,073 फीट) है।
  2. तुंगनाथ मंदिर पंच केदार मंदिरों में से एक है। इसके साथ ही मध्यकालीन पांडवों की कथा से जुड़ा होने के कारण यह मंदिर महत्वपूर्ण है।
  3. तुंगनाथ मंदिर को अद्वैत चर्या धाम के रूप में भी जाना जाता है। यह धाम चार धामों में से एक है जो चार धाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  4. तुंगनाथ मंदिर को आदिकाल से जोड़ा जाता है और यह कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल में पांडवों द्वारा निर्मित किया गया था।

8. रामनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडू –

Ramanathaswamy Temple

(Oldest temple in India) मे 8 मंदिर रामनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडू का है।

भारत में आये रामनाथस्वामी मंदिर जो तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर आया हुआ है। हिंदुओं की चार धाम में से एक सब से पवित्र मंदिर माना जाता है।

यह रामनाथस्वामी मंदिर अपने जटिल काम के लिए भी जाना जाता है जो हर हिदु के लिये पवित्र ओर भम्रन करने वाला शिव मंदिर है।

126 ही ऊंचा टावर 78 फीट ऊंचा पश्चिम टावर है यहां कुंवा जिसमें मंदिर की गर्भग्रह में जाने से पहले इस कुये के पानी से स्नान करते हैं। लोगों का कहना है कि इस कुआ के पानी से स्नान करने से पाप धूल जाते हैं।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान राम ने सीता मां को जब लंका वापस लेकर आ रहे थे अब इस जगह पर भगवान शिव जी  का आराधना किए थे।

रामनाथस्वामी मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (Interesting facts about Ramanathaswamy Temple) –

  1. रामनाथस्वामी मंदिर, भारत में स्थित चार धामों में से एक है और यहां परमात्मा शिव के एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग का स्थान है।
  2. मंदिर के गर्भगृह में एक पंचकोण शिला स्थापित है जिसे “रामलिंग” कहा जाता है। इसे मान्यता है कि यह शिला भगवान श्रीराम द्वारा प्रार्थना के लिए प्रतिष्ठित की गई थी।
  3. रामनाथस्वामी मंदिर, मध्यकालीन तमिलनाडु के प्रसिद्ध पांड्य राज्य के निवास स्थल में स्थित है। यह पांड्य राजवंश के राजा राजेंद्र चोला I द्वारा निर्मित किया गया था।
  4. रामनाथस्वामी मंदिर में आराधना विधियों के अनुसार, ब्राह्मणों को प्रथम आदिकालिकता प्राप्त होती है। यह अनुशासन के उच्चतम स्तर को प्रतिष्ठित करता है और इसे भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है।

यहाँ भी पढ़े – भारत के संविधान के बारे में रोचक तथ्य | Indian Constitution Facts in Hindi

9. मुंडेश्वरी मंदिर बिहार –

Mundeshwari Temple

(Oldest temple in India) मे 9 मंदिर मुंडेश्वरी मंदिर बिहार का है।

मुंडेश्वरी मंदिर भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है और यह जोधपुर शहर से लगभग 64 किलोमीटर (40 मील) की दूरी पर स्थित है। यह हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है और महाराजा मांगल सिंह जी ने 1810 ईस्वी में इसे बनवाया था। मुंडेश्वरी मंदिर श्री नाग माता को समर्पित है, जिसे लोकप्रियता में मुख्य रूप से सर्प देवता के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर का मुख्य शिखर 15 फुट ऊंचा है और इसमें तीन मंजिलें हैं। शिखर के नीचे स्थित हनुमान जी का मंदिर भी है। मंदिर के अंदर एक विशाल गुफा है, जहां परंपरागत रूप से सांप और नागदेवता की पूजा की जाती है। यहां पर कई शिवलिंग भी स्थापित हैं।

मुंडेश्वरी मंदिर में हर साल बाड़ी नवमी के दिन बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसे बहुत से लोग भक्ति और धार्मिक आस्था के साथ आते हैं। मंदिर के पास एक नाग बावड़ी (कुआं) भी है, जिसमें लोग नाग देवता के अभिषेक के लिए पानी लाते हैं

मुंडेश्वरी मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (Interesting facts about Mundeshwari Temple)

  1. वास्तुकला के दृष्टिकोण से मुंडेश्वरी मंदिर बहुत महत्वपूर्ण है। इसे विशेष रूप से मार्मिक शैली में निर्मित किया गया है जिसमें पत्थर का विस्तारित उपयोग किया गया है।
  2. मंदिर में सुंदर वास्तुशिल्प और संगमरमर के काम का प्रदर्शन है। यहां की आकृतियां, स्तम्भ और शिल्प का निर्माण बहुत रमणीय हैं।
  3. मुंडेश्वरी मंदिर जोधपुर जिले के आधारभूत स्थानों में से एक है और विशेष रूप से शिवरात्रि पर यहां भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन लाखों भक्त यहां आते हैं और देवी-देवताओं की आराधना करते हैं।
  4. मुंडेश्वरी मंदिर के पास स्थित सीतामाता नदी को पावन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह नदी शुद्धता और मोक्ष के पथ का प्रतीक है।

10. महाबलीपुरम मंदिर तमिलनाडु –

Mahabalipuram Temple

(Oldest temple in India) मे 10वा मंदिर  महाबलीपुरम मंदिर तमिलनाडु है।

महाबलीपुरम खड़क मंदिर जो तमिलनाडु मे आया हुआ है, जो दक्षिण भारत की पल्लवराजा नरसीवरमन के उपनाम महाल्ल्व पर से लिया गया था।

यह यह जगह चेन्नई से कुछ साथ किलोमीटर दूर आया हुआ है। सात घोड़ों का शहर भी कहा जाता है वर्तमान समय में इस मंदिर को महाबलीपुरम कहते हैं।

जिस में कुल सात मंदिर का संग्रह था वर्तमान समय में केवल  5  ही खड़क मंदिर रह गए हैं। बाकी की दो खरक मंदिर समुंद्र में विलीन हो गए हैं। इस मंदिर के आस पास के पत्थरों को काटकर अन्य मंदिरों का भी निर्माण किया गया है।

जिस में से विष्णु जी का हास्यमुद्रा में एक मूर्ति इस के अलावा महिषासुर का वध करते हुए दुर्गा मा जी का भी मूर्ति प्राप्त है महाबलीपुरम जो खरक मंदिर का एक अद्भुत नक्काशी का स्वरुप के साथ थी या प्राचीन भारत की सबसे पुराने बंदरगाह भी है।

महाबलीपुरम मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं (Interesting facts about Mahabalipuram Temple) –

  1. महाबलीपुरम मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण है और यह विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल है।
  2. यह मंदिर 7वीं या 8वीं शताब्दी में पल्लव राजवंश के समय निर्मित किया गया था।
  3. महाबलीपुरम मंदिर तिरुवल्लुर जिले में स्थित है और तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम नगर से लगभग 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  4. यह मंदिर श्रीमती राजमाता बागिरथी अम्माल ने 7वीं शताब्दी में अपने पति महेंद्रवर्मन द्वारा निर्माण करवाया था।
  5. मंदिर का मुख्य विमान एक पञ्च रथ विमान है, जिसमें पांच अलग-अलग तरह के शिखर होते हैं, जो प्रत्येक तरफ से विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं।
  6. महाबलीपुरम मंदिर में भगवान विष्णु की अवतार महाबली श्रवण की पूजा की जाती है। महाबली श्रवण को एक महान योद्धा माना जाता है, जिसने राज्य और सम्पत्ति के लिए अपना बलिदान दिया था

यहाँ भी पढ़े – भारत देश के बारे में 101 रोचक तथ्य | India Facts in Hindi

अन्न्य मंदिर (Oldest Temple In India)

  • सोमनाथ मंदिर
  • बृहदेशवर मंदिर थंजावुर
  • गोपुरम स्थाप्तय
  • कुम्भेशवर मंदिर
  • बदामी गुफा

नोट: ये सभी जानकारीया  किताबो ओर रिसर्च करके लिया गया है। दोस्तो आपको हमारा ये Oldest temple in India जिसमे हमने 10 प्रचिन (Oldest temple in India) मंदिरो का वर्नण किया है कैसा लगा बताये।

उत्तर. भारत की राजधानी नई दिल्ली है

उत्तर. भारत की सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा हिमालयन पर्वत श्रृंग है, जो सिक्किम राज्य में स्थित है।

उत्तर. भारत की मुख्य भाषा हिंदी है, जबकि अन्य प्रमुख भाषाएं इंग्लिश, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, ओडिया, पंजाबी और मलयालम शामिल हैं.

ये भी पढ़ें –

Similar Posts